Monday, November 18, 2013

अग्नि परीक्षा

हरी ..आज  बहुत बेचैन होकर आपनेभविष्य के बारे में सोच रहा हे .कैसे पुरे करेगा उन सपनो को जो वो सब देख रहे हे क्या होगा कल जब जिम्मेदारिया सिरपर  खड़ी होंगी .बेटी बड़ी हो रही हे ,उसकी पढ़ाई लिखाई और फिर उसके भावी जीवन की योजनाओ की पूर्ति ..बेटा जो अपनी समस्याओ से झुज़ रहा हे .उसको उसकी क्षमता से ज्यादा भार देकर उसका वर्तमान ही चौपट किया जा चूका हे .अब उसको भी जीवन के पथ पर चलने में हर समय मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी ,हरी अपनी सीमित व्यवस्था में यही सब सोचता हुआ रोने का भी प्रयास करता हे .मगर उसके आंसू किसीको नहीं दिखने वाले ,यही उसकी नियति हे .इसीलिए आँखों ने आंसू भी सुखा लिए हे
.
मगर यात्रा अनवरत जारी हे ......

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