हरि जब अपनी आयु 40 वर्ष के आसपास से गुजर रहा था तब उसके अंतर्मन में कई सपने आकार ले रहे थे, बेटे को लेकर वह यह निश्चय तो कर चुका था की बेटे का अध्ययन में कोई विशेष रुचि नहीं है तो वह व्यापार में उसका साथ देगा, और अपनी बेटी को वह उसकी इच्छा के अनुसार उच्च अध्ययन कराएगा ताकि वह आत्मनिर्भर होकर अपना भविष्य सवार सके, शनै शनै हरि उम्रके अर्धशतक की ओर अग्रसर हो रहा था और उसके सभी सपने एक-एक करके रसातल में जा रहे थे, बेटा उसकी आशा के अनुरूप व्यवसाय को आगे नहीं लेजा पाया और बेटी भी कुछ प्रयासों के पश्चात हताशा के भंवर में उलझ गई, अब हरि अपने जीवन के उसे ठहराव पर है जहां से अंधकार भी नजर आ रहा है और दूर क्षितिज में कहीं कुछ रोशनी की एक किरण भी दिखाई दे रही है, हरि के जीवन में यह ठहराव कब तक रहता है बस अब यही एक वह जीवन बिंदु है जहां से हरि अपने भावी जीवन की रपरेखा तय कर पाएगा,,,
Wednesday, August 21, 2024
Wednesday, November 9, 2022
आत्मचिंतन
बहुत दिनों के बाद आज कुछ लिखने के लिए बैठा हु, सोच रहा हु कहा से शुरू करू.
बहुत बाते हे जो किसी को कह भी नहीं पाते किसी को बता नहीं सकते फिर वो बिना किसी समाधान बिना किसी निष्कर्ष के यही अंतस में दबी रह जाती है ,
पिछले कुछ महीनो से समय का पहिया मेरे भाग्य रुपी वाहन को अपने लक्ष्य रूपी पथ पर अभाव रूपी बाधाओं को पार नहीं करवा पा रहे हे , परिणाम स्वरुप तय गंतव्य अपने समय के साथ अव्यवस्थित होते जा रहे हे ,
जीवन में निराशा कब अपनी काली घनी परछाई के साथ एक लम्बी अवधि के लिए मेहमान बन जाये ये चिंता अब दिन रात सताने लगी है ,
सपने कैसे चकना चूर होते हे, कैसे इच्छाओ का मर्दन होता हे, कैसे अकांक्षाओ के पंख उडान भरने से पहले ही कट जाते हे ये सब वर्तमान मुझे दिखा रहा हे..
आखिर कब तक इस परिस्थिति से लड़ पाउँगा कब तक ये हालात बने रहेंगे कुछ समज में नहीं आरहा हे।
हफ्तों हफ्तों तक खाली हाथ घर जाना , ऋण का भार बढ़ता जाना , लेनदारों की उगाही और घर में ख़त्म होते राशन माँ बाप की दवाई ये सब एक दैत्य की तरह सामने खड़े होकर मुझे ललकारते हे।
पता नहीं आखिर ऐसा हुआ क्यों हे? व्यवसाय धीरे धीरे ठप्प सा क्यों हो गया , क्यों कोई ग्राहक आखिर मेरे यहाँ आना ही नहीं चाहता, क्यों मेरी क्रय और विक्रय की क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा हे , लगभग सभी निर्णय उलटे पड रहे हे? कुछ समझ में नहीं आरहा हे और सिवाय पत्नी के जो सिर्फ सीमित एवं मर्यादित क्षमता से मेरी सहायक हे उसके सिवा और कोई मार्गदर्शक भी जीवन में नहीं हे, कोई हाथ पकड़ के दुविधा और दुर्दशा के दल दल से निकालने वाला भी नहीं हे ,
अंतोगत्वा ईश्वर ही हे जो ये सब देख रहे है और समझ रहे है। हे ईश्वर मेरी रक्षा करना।
Tuesday, December 7, 2021
हरि का परिचय
हरि, मेरी लघु कथाओं का एक पात्र या नायक जो कि एक साधारण परिवार का घर गृहस्ती वाला एक जिम्मेदार नागरिक है| दरअसल हरि एक प्रतिनिधि है उन सभी मनुष्यों का जो अपने प्रतिदिन के क्रियाकलापों एवं उलझनों मैं संघर्ष करते हुए जीवन को एक प्रासंगिक एवं सकारात्मक दृष्टिकोण देने का प्रयास करते रहते हैं|
हरि के घर में उसके मां-बाप, पत्नी, एक बेटा एवं एक बेटी है.
हरि के जीवन में घटने वाली छोटी-मोटी घटनाओं के प्रसंग मेरी लघु कथाओं का आधार है|
Life truth..
जीवन में जो लोग साथ रहकर छल करें, धोखा दे,चुगली करें, बातों को गलत तरीक़े से किसी के सामने रखे,उनका साथ छोड़ देना बेहतर होता है....Hari
Tuesday, September 22, 2015
प्रभु शरण ...
Wednesday, July 15, 2015
दुविधा (भाग २)
Monday, November 18, 2013
अग्नि परीक्षा
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मगर यात्रा अनवरत जारी हे ......